कर्मचारियों के एनपीएस खाता में जमा 39000 करोड़ राशि को लौटाने से से PFRDA का इंकार

 कर्मचारियों के एनपीएस खाता में जमा 39000 करोड़ राशि को लौटाने से से PFRDA का इंकार 

cgshiksha.in रायपुर -छत्तीसगढ़ ,राजस्थान और हिमाचलप्रदेश के सरकारों राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के नविन अंशदायी पेंशन योजना एनपीएस को बंद कर 1 अप्रैल 2022 से पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है लेकिन कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई जो एनपीएस नई पेंशन योजना के अंतर्गत कटौती किये गए हैंऔर राज्यांश राशि जो कर्मचारियों के एनपीएस खातों में जमा हुए हैं ,उन राशियों को पीएफआरडीए ने लौटाने से इंकार कर दिया है।PFRDA द्वारा कर्मचारियों की एनपीएस खाता में जमा राशि को लौटाने से इंकार करने से कर्मचारियों के वेतन से की गई 10 %और राज्यांश से जमा की गई 10 %की हजारों करोड़ राशि डूबने की संभावना दिखाई देने लगी है। 

राजस्थान की गहलोत सरकार ने सबसे पहले पुरानी पेंशन योजना बहाली का किया था घोषणा👇


राजस्थान की गहलोत सरकार ने अपने बहुचर्चित बजट में नई पेंशन योजना को बंदकर अपने राज्य के 5 लाख से ज्यादा एनपीएस कर्मचारियों  पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गई थी,लेकिन कर्मचारियों की नजर में पेंशन पुरुष की उपाधि पाने वाले अशोक गहलोत की बहुचर्चित बजट घोषणा धरातल पर लागू होने के पहले ही आधार में लटक गई है। राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रदेश के01 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों की नवीन अंशदायी पेंशन योजना को बंदकर पुरानी पेंशन योजना लागु करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। 

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प्रदेश के कर्मचारियों के साथ -साथ देशभर के कर्मचारियों ने अशोक गहलोत को पेंशन पुरुष की संज्ञा से सम्बोधित करने लगे थे।राजस्थान सरकार द्वारा अप्रैल माह से कर्मचारियों की एनपीएस खाता में की जाने वाली कटौती बंद कर दी गई है तथा कर्मचारियों और राज्यांश की एनपीएस खाता में जमा राशि को वापस करने के लिए केंद्र सरकार के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण  PFRDAको पत्र लिखा था।

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राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के NPS खातों में जमा राशि को विड्राल करना चाहा था 👇


राजस्थान सरकार ने अपने राज्य के 5 लाख से अधिक कर्मचारियों की एनपीएस के अंतर्गत होने वाली कटौती को 01 अप्रैल 2022 से बंद कर दी है। राजस्थान शासन वित्त विभाग द्वारा केंद्र सरकार के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण  PFRDAको पत्र लिखकर राज्य सरकार  01 जनवरी 2004 के बाद से एनपीएस के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू कर दिया गया है इसलिए सरकार कर्मचारियों के एनपीएस खातों में जमा कर्मचारी अंशदान और राज्यांश को विड्रा कराना चाहता है। विड्रा के बाद सरकार कर्मचारियों की अंशदान राशि को उनके जीपीएफ खाता में जमा करेगा। 

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पीएफआरडीए ने एनपीएस खाता में जमा राशि लौटाने से किया इंकार👇

 

 राजस्थान सरकार द्वारा अप्रैल माह से कर्मचारियों की एनपीएस खाता में की जाने वाली कटौती बंद कर दी गई है तथा कर्मचारियों और राज्यांश की एनपीएस खाता में जमा राशि को वापस करने के लिए केंद्र सरकार के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण  PFRDAको पत्र लिखा था।राजस्थान के वित्त विभाग द्वारा पीएफआरडीए को लिखी गई चिठ्ठी में राज्य के 5 लाख से अधिक कर्मचारियों की एनपीएस खातों में जमा कर्मचारियों की अंशदान राशि और राज्यांश राशि को वापस लौटाने को कहा गया था। जिसके जवाब में केंद्र सरकार के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण  PFRDA ने एनपीएस  दायरे में आने वाले राज्यांश और कर्मचारियों केअंशदान के 39000 करोड़ रुपये को लौटाने से इंकार कर दिया है। 

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पीएफआरडीए ने कटौती राशि वापस न करने के पीछे बताएं हैं ये कारण 👇


 केंद्र सरकार के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण  PFRDAने राजस्थान शासन वित्त विभाग के द्वारा कर्मचारियों के एनपीएस खातों में जमा कर्मचारी अंशदान और राज्यांश की राशि को लौटाने संबंधित पत्र के जवाब में जवाबी खत 02 मई को लिखा है जिसमेंपीएफआरडीए ने लिखा है कि पीएफआरडीए एक्ट 2013 व पीएफआरडीए 2015 रेग्युलेशन में एनपीएस योजना के तहत राज्यांश और कर्मचारी अंश को राज्य सरकार के रेवेन्यू रिसीट में राशि लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है। पीएफआरडीए के इस फैसले से राजस्थान सरकार और 5 लाख से अधिक अधिक कर्मचारियों को जबरदस्त झटका लगा है। 

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पीएफआरडीए के जवाब को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है राजस्थान सरकार 👇


पीएफआरडीए के एनपीएस खाते में जमा राशि लौटाने के इंकार करने पर राजस्थान सरकार उक्त मामलें को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। सरकार कोर्ट में यह तर्क देगी कि राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का पूरा हक़ है।वही सरकार अपने कर्मचारियों के एनपीएस खाते में अंशदान कटौती 01 अप्रैल 2022 से बंद कर चुकी है राजस्थान सरकार प्रत्येक वर्ष कर्मचारियों के एनपीएस खाते में राज्यांश के रूप में 2000 करोड़ रुपये जमा करती आ रही थी। राजस्थान सरकार इस मुद्दे पर महाधिवक्ता से राय ले रही है। राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में तर्क दे सकता है कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण  PFRDAका गठन यूनियन लिस्ट के 71 वे आइटम के तहत हुए हैं इसलिए पीएफआरडीए का नियम कानून राज्य पर लागू नहीं हो सकती है।

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 एनपीएस खाता में जमा राशि न लौटाने की स्थिति में भी ओपीएस दे सकता है स्टेट सरकार👇


01 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्ति हुए कर्मचारियों के एनपीएस खाते में जमा राशि लौटाने के इंकार करने के बाद भी राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दे सकती है।कर्मचारियों के एनपीएस खाते में जमा अंशदान राशि पर राज्य सरकार और कर्मचारियों का बराबर का हिस्सा है इसलिए राज्य सरकार और कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। 

एनपीएस की जगह ओपीएस योजना राजस्थान सरकार के साथ -साथ छत्तीसगढ़ और हिमाचलप्रदेश सरकार द्वारा अपने अपने राज्य में लागू कर दिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश से फिलहाल इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। 

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एनपीएस खाते में जमा राशि निकलने के तीन विकल्प हैं 👇


वर्तमान समय में एनपीएस खाते जमा राशि को एग्जिट करने के तीन विकल्प मौजूद है। 

1.वीआरएस लेने पर -वीआरएस पर 80%राशि फिर फंड में रिइनवेस्ट करनी होती है। 

2.रिटायरमेंट पर -कर्मचारी की रिटायरमेंट होने पर 40 %राशि फंड में रिइनवेस्ट करना होता है। 

3.मृत्यु होने पर -किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजन को एनपीएस फंड में जमा पूरी राशि मिल जाती है। 

राजस्थान प्रदेश की कर्मचारियों की एनपीएस खाते में मार्च 2022 तक3.60लाख हजार करोड़ रुपये जमा है। इसी प्रकार राजस्थान के साथ -साथ छत्तीसगढ़ सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी अपने राज्य की कर्मचारियों की एनपीएस कटौती बंद कर पुरानी पेंशन योजना लागू की है। अतः राजस्थान ,छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश राज्यों द्वारा एक साथ एनपीएस खाते में जमा राशि का विड्रा करवाने से बाजार से लगभग एक लाख करोड़ रुपये बाहर निकलेगा।   





 

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