प्रमुख शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला के बयान की शिक्षक संघों ने जतायी कड़ी आपत्ति ,दागे कई सवाल

 प्रमुख शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला के बयान की शिक्षक संघों ने जतायी कड़ी आपत्ति ,दागे कई सवाल  

cgshiksha.in रायपुर -प्रमुख शिक्षा सचिव डॉ आलोक शुक्ला द्वारा शिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय वेबिनार में शिक्षकों के लिए निकम्मा शब्द कहने पर प्रदेश का शिक्षक नाराज हो गया है। प्रदेश के सभी शिक्षक संघों ने प्रमुख सचिव के बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है और प्रमुख शिक्षा सचिव डॉ आलोक शुक्ला के बयान की कड़े शब्दों में निंदा किया है। प्रमुख शिक्षा सचिव द्वारा शिक्षकों को निकम्मा कहे जाने पर शिक्षक संघ के शिक्षक नेताओं ने आपत्ति जताये जाने के साथ -साथ कई सवाल भी दागे हैं।

क्या कहा है शिक्षा प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने 👇


30 जून 2022 को छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य स्तरीय गूगल मीट वेबिनार का आयोजन किया गया था। इस शिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय शिक्षा वेबिनार में प्रदेश के 20000 हजार शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी जुड़े थे। इस वेबिनार में प्रमुख शिक्षा सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने समग्र शिक्षा के एमडी को कहा कि एमडी साहब आप मुझे तीन दिन में डाक्यूमेंट बनाकर दें कि शिक्षकों ने क्या कार्य है ,उसका आकलन कैसे करेंगे ,किस प्रकार से आकलन किया जायेगा शिक्षकों का ,उस आकलन में कौन से शिक्षक को संतोषप्रद माना जायेगा ,किसको निकम्मा माना जायेगा और किसको अतयंत अच्छा माना जायेगा।

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प्रमुख सचिव के बयान पर शिक्षक संघ नेताओं की प्रतिक्रिया 👇 


सर्व शिक्षक संघ ,विवेक दुबे की प्रतिक्रिया 👇


प्रमुख शिक्षा सचिव के बयान पर सर्व शिक्षक संघ के अध्यक्ष विवेक दुबे ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और आपत्तिजनक बात है कि हर असफलता का ठीकरा शिक्षकों के सिर फोड़ा जाता है ,जबकि प्रदेश के इन्ही शिक्षकों के प्रदर्शन के दम पर केंद्र सरकार से पुरस्कार हासिल किया जा रहा है। व्यवस्था में सदैव कमी रहता है ,उसे सुधारने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ -साथ आत्मआकलन भी जरुरी है। यदि शिक्षक फेल है तो निश्चित रूप से शिक्षा विभाग के अधिकारी भी फेल है। केवल एक को दोषी ठहरा देने से इतिश्री नहीं हो जाएगी।

 प्रमुख सचिव महोदय द्वारा विगत तीन वर्ष से कहा जा रहा है कि शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी नहीं लगेगी ,लेकिन शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्यों में लगातार ड्यूटी लगाई जा रही है। यहाँ तक कि चेकपोस्ट तक में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है और शिक्षक ड्यूटी करने को मजबूर हैं। एसडीएम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जब चाहे जिन शिक्षकों की चाहें ड्यूटी लगा देते हैं और शिक्षा विभाग विरोध तक नहीं कर पाता है। जो शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न है ,बाद में उन्ही के परफॉर्मेंस को देखकर उन पर विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती है। 

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त्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ प्रमुख वीरेन्द्र दुबे की प्रतिक्रिया 👇


छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रमुख सचिव का बयान गैर जिम्मेदाराना है। शिक्षा व्यवस्था में जो कमिया है ,उसके लिए प्रदेश का अफसरशाही दोषी है। एसी में बैठकर नित -प्रतिदिन एक नया प्रयोग स्कूलों में कर स्कूलों को प्रयोगशाला बना दिया गया हैऔर बच्चों को प्रायोगिक सामान। शिक्षकों से दिन -रात इतने गैर शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं कि शिक्षकों को बच्चों को अध्यापन कराने के लिए समय ही नहीं मिल पाता। रोज नए विधियों के अधकचरे ज्ञान से ही स्कूलों की गुणवत्ता बिगड़ रहा है। उस पर कक्षा आठवीं तक कक्षोन्नति देना भी बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता को कमजोर बनाना है।

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धर्मेश शर्मा और जितेंद्र शर्मा की प्रतिक्रिया देखें 👇


प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए धर्मेश शर्मा और जितेंद्र शर्मा ने कहा है कि प्रमुख सचिव को शिक्षकों को धमकाने के बजाय शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर सुधार करना चाहिए। अनावश्यक प्रयोग बंद करना चाहिए। कमजोर गुणवत्ता के लिए शिक्षकों को दोषी ठहराना पूर्णतः गलत और गैर जिम्मेदाराना भी है। शिक्षक अपना दायित्व भली -भांति जानते और समझते हैं। तभी शिक्षा विभाग के अधिकारी लगातार छत्तीसगढ़ की शिक्षा को लेकर केंद्र से पुरस्कृत होते रहे हैं। खुद वाहवाही बटोरना और परिश्रम करने वाले के हिस्से केवल आलोचना करना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 

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छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन प्रमुख संजय शर्मा की प्रतिक्रिया 👇


छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन प्रमुख संजय शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षा को सराहने पर शिक्षकों को कोई लाभ नहीं दिया गया ,तब शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वाहवाही लूटी। अब निम्न स्तरीय शिक्षा पर सजा की बात विभाग कैसे कर सकता है?उत्कृष्ट शिक्षा पर पुलिस या अन्य विभागों की तरह इंक्रीमेंट ,आउट ऑफ टर्न पदोन्नति या भत्ता क्यों नहीं दिया जाता ?शिक्षकों का प्रतिनिधित्व शिक्षक कर्मचारी संघ करते हैं। उनसे सुझाव लेकर लेकर शिक्षा का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया जाता ?शिक्षा प्रमुख सचिव को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए। 

छत्तीसगढ़ संयुक्त शिक्षक संघ के मुंगेली जिला के अध्यक्ष मोहन लहरी की प्रतिक्रिया 👇


प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ संयुक्त शिक्षक संघ के मुंगेली जिला के अध्यक्ष मोहन लहरी ने प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला द्वारा शिक्षकों को निकम्मा कहे जाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त किया गया हैऔर उसने शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला से सवाल पूछा है कि  उपलब्धियों के लिए शिक्षा विभाग के मुखिया के रूप में वाहवाही लुटते हैं और कमियों के लिए आपके द्वारा शिक्षकों को निकम्मा क्यों कहा जा रहा है ?आप शिक्षकों को निकम्मा कहने पर तत्काल माफी मांगें अन्यथा आपके विरुद्ध आंदोलन किया जायेगा। 

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छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक संघ के प्रदेशउपाध्यक्ष शिवा मिश्रा की प्रतिक्रिया 👇


प्रमुख शिक्षा सचिव डॉ आलोक शुक्ला के आपत्ति जनक बयान पर छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष शिव मिश्रा ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रमुख शिक्षा सचिव ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए पूरा दोषारोपण शिक्षकों पर कर दिया है जो आपत्तिजनक है। शिक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से उत्तरदायी कारण है। जिन पर गहन चिंतन होना चाहिए। केवल शिक्षकों को दोषी ठहराए जाने से न तो समाधान मिलेगा और न ही ये उच्चाधिकारी अपने उत्तरदायित्वों से बच पाएंगे। प्रमुख शिक्षा सचिव से मेरा प्रश्न है कि -

*अपने शिक्षक चयन प्रक्रिया को इतना जटिल और पैनी बनाया है कि हायर सेकंडरी ,स्नातक ,डीएड ,बीएड फिर शिक्षक पात्रता परीक्षा ,उसके बाद कॉम्पिटिशन एग्जाम ,इतना छानकर आप पानी पी रहे हैं ,फिर भी आपको पानी गंदा मिल रहा है। ,बेहद आश्चर्य का विषय है। 

*आप हर वर्ष शिक्षा में नित नए प्रयोग कर रहे हैं ,किसी भी योजना में स्थायित्व नहीं है। शिक्षक और विद्यार्थी वर्ष भर भ्रमित रहते हैं कि उसे क्या है। 

*शिक्षा की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग वाले कितने कुशल और वरिष्ठ अधिकारीयों की नियुक्ति आपके सिस्टम ने की है ,जरा इसका भी आप आत्मावलोकन करें। 


*शिक्षकों को मिलाने वाला समयबद्ध प्रमोशन और अन्य हितलाभों को क्या शिक्षा विभाग ने प्रदान किया है?बिलकुल नहीं ,आज प्रदेश के अधिकांश प्राथमिक शालाओं में हेडमास्टर के पद रिक्त है ,बहुत से माध्यमिक शालाओं में विषय शिक्षक के पद खली पड़े हुए हैं सिर्फ जुगाड़ शाला चल रहे हैं। वहीं सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के आश्वासन को पूर्ण करना तो दूर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी आज तक अपना रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाई है ,जिससे पुरे सहायक शिक्षकों का विश्वास ख़त्म हो रहा है। क्या इससे शिक्षा गुणवत्ता इससे प्रभावित नहीं होती है,शिक्षा का मनोविज्ञान हमेशा साथ -साथ चलता है ,शिक्षकों के हितलाभों सहित प्रमोशन यदि समय पर होती है तो शिक्षक बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित होता है जो आज नहीं किया जा रहा है। 


*प्राथमिक शिक्षा कक्षा पहली से आठवीं तक में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत यह उपबंध यद्दपि उचित था कि बच्चे को किसी भी कक्षा में न रोका जाय ,उसे न्यूनतम स्तर तक लेकर कक्षोन्नति दे दी जाये ,लेकिन आज इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिल रहा है ,विद्यार्थी और अभिभावक शिक्षा के प्रति उदासीन हो गए हैं और लापरवाह भी ,जिसका परिणाम शिक्षा का गिरता हुआ स्तर दिखाई दे रहा है। पुनः परीक्षा की व्यवस्था और पूर्व की भांति कमजोर विद्यार्थियों को रोकने की व्यवस्था पर पुनर्विचार होना चाहिए। और भी बहुत से कारण है लेकिन यह भी सच है कि बोर्ड परीक्षाओं का परीक्षा रिजल्ट अच्छा है ,स्थानीय भी ठीक ही है ,प्राथमिकस्तर का भी परिणाम कही कमजोर नहीं है ,फिर गुणवत्ता पर प्रश्न ?इसके उपरांत एक जिम्मेदार अधिकारी का ऐसा बयान बहुत ही निंदनीय है।   


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